पिछले महीने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में विराजमान जैन संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के सानिध्य में कुंडलपुर से लगे मढ़िया टिकैत गांव के नवयुवक महेश बर्मन, मोहराई गांव के रामरतन ढीमर, अशोक नगर से लगे कचनार गांव के कपिल सेन एवं गौरव सेन को हथकरघा दिया गया।
हथकरघा भेंट का प्रतीक स्वरूप एक अनुबंध श्रमदान हथकरघा संचालक ने गुरुदेव के पावन सानिध्य में इन प्रशिक्षित युवकों को प्रदान किया।
आचार्य श्री ने इन नवयुवकों को समझाते हुए कहा कि अपने आसपास और जो फालतू युवा घूम रहे हैं उनको भी हथकरघा सिखाओ, अपने घर की महिलाओं को भी हथकरघा सिखाओ, किंतु ध्यान रखना कि कमाया हुआ धन व्यसनों में ना चला जाए उसका सदुपयोग करना। गुरु मुख से यह शिक्षा सुन यह सभी लोग धन्य हो गए।
ध्यान रहे श्रमदान का मुख्य उद्देश्य सात्विक ग्रामीण भारतीय युवाओं को हस्तशिल्प कला में प्रशिक्षित कर उन्हें तत्संबंधी संसाधनों को उपलब्ध कराकर एवं उन्हें समर्थ बनाकर सुविधाजनक और लाभकारी रोज़गार के अवसरों को पैदा करना है। इस कार्य को करते हुए व्यापक-संवेदनशीलता, संतुलित पर्यावरण और उचित-पारिश्रमिक के मूलभूत सिद्धांतों का अनुकरण किया जाता है।