कहने को तो कुण्डलपुर मध्य प्रदेश के दमोह जिले का एक छोटा सा गांव है पर यहां भी अब चंदेरी, महेश्वर और वनारस कि तर्ज पर घर-घर हथकरघा चलाए जाने लगे हैं। यह सब कुछ संभव हो पाया जैन संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की दृष्टि से...
दरअसल कुंडलपुर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान के अत्यंत प्राचीन मंदिर के लिए विश्व विख्यात है यहां पर भारत के कोने-कोने से यात्री आते हैं। आचार्य श्री के आर्शीवाद से प्रारंभ हुई संस्था श्रमदान में ग्रामीण युवा प्रशिक्षण लेते हैं और थोड़े से अभ्यास के बाद ही ये युवा ₹400-₹500 प्रतिदिन का काम करने में सक्षम हो जाते हैं।
अपने घर हथकरघा ले जाते प्रशिक्षित ग्रामीण युवक
इनमें से कई युवाओं ने अपनी गृहणियों को भी हथकरघा सिखा दिया है। परिणाम यह हुआ कि उनके घर दूसरा निःशुल्क हथकरघा भी आ गया। ऐसे कई पति-पत्नियां हैं जो मिलकर 30-40 हजार रुपए हर माह कमा रहे हैं। वास्तव में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए इससे अच्छा मॉडल और नहीं हो सकता। लोगों को अपने गांव में ही रोजगार भी मिल गया, प्रकृति को हानि भी नहीं पहुंची और हमारी बहुमूल्य प्राचीन कला का संरक्षण भी हो गया; इसे कहते हैं "एक पंथ बहु काज"